श्री स्‍वतंत्र देव सिंह

अध्‍यक्ष

गेहूं की बिक्री को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अनर्गल आरोपों पर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह ने करारा प्रहार किया

Read More

श्री स्‍वतंत्र देव सिंह से जुड़ें

श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी भारत के एक राजनेता हैं। वर्तमान समय में वे उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं। इसके अलावा उन्होंने 16 जुलाई 2019 से 27 जुलाई 2022 तक भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम किया है। वे 22 मार्च 2017 से 21 अगस्त 2019 तक उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन, प्रोटोकॉल एवं ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं। श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी उर्फ कांग्रेस सिंह जिनका नाम लगातार मीडिया की सुर्खियों में बना रहा। यह नाम प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिये चल रहा था लेकिन अब इन्हें योगी सरकार में बुन्देलखण्ड क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और योगी सरकार में इन्हें स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया। श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी का जन्म मिर्जापुर जनपद के एक ग्राम में 13 फरवरी 1964 में हुआ था। इनकी मां का नाम रामा देवी और पिता का नाम अल्लर सिंह था। इनकी शादी झांसी जनपद के सिगार ग्राम में हुई थी। मिर्जापुर जनपद में जन्मे स्वतंत्र देव सिंह ने बुन्देलखंड के जालौन को कर्मभूमि बनाया। यहीं से राजनीति की शुरुआत करते हुए आज पूरे प्रदेश में उनका डंका बजने लगा। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे स्वतंत्रदेव अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं जो आरएसएस से जुड़कर वर्तमान में बीजेपी जैसी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी की परिवारिक स्थिति बेहद खराब थी लेकिन उनके बडे भाई श्रीपत सिंह की पुलिस में नौकरी लग गयी। जिनकी नियुक्ति जालौन में हुयी। पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण स्वतंत्र देव सिंह को उनके बडे भाई श्रीपत जालौन ले आये जहां उन्होने इनकी पढाई यही से कराई। यही से स्वतंत्र देव ने राजनीति में कदम रखा। स्वतंत्र देव सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से की थी। उन्होने जालौन के उरई मुख्यालय स्थित डीवीसी कालेज से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लडा लेकिन वह हार गये। उसके बाद 1986 में आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ का प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। 1988-89 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। 1991 में भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बने। बाद में उन्हे 1994 में बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में राजनीति में पदापर्ण किया। 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया। 1998 में दोबारा भाजपा प्रदेश युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने।

2004 में श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी बुन्देलखंड से झांसी-जालौन-ललितपुर विधान परिषद के सदस्य चुने गये व प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। वह 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री बनाये गये। इससे पहले 2010 में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनाये गए बाद में 2012 में फिर महामंत्री बने और इसी पद पर रहकर 2017 में भाजपा को बुन्देलखंड क्षेत्र में भारी जीत दिलाई। 2013 में इनको पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था।

श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी 2014 में प्रदेश में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे। जिसमें  प्रदेश भर से एक करोड़ से ज्यादा नये सदस्य बनाकर स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था। स्वतंत्र देव सिंह ने 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आयोजित कराया था।अपने नेतृत्व में उन्होने भाजपा की सीमा जागरण यात्रा (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर, गोरखपुर से बिहार तक) कराई थी। वहीं केन्द्रीय जलसंसाधन विकास मंत्री उमा भारती की गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे। वही 2009 में वह भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार श्री लाल कृष्ण आडवाणी की रैली के प्रमुख कर्ता-धर्ता रहे थे।

यूपी में लोकसभा चुनाव से लेकर विधान सभा चुनाव में पीएम मोदी की जितनी भी रैली हुयी है उसे सफल बनाने में स्वतंत्रदेव का बहुत बडा हाथ माना जाता है। स्वतंत्र देव सिंह पीएम श्री नरेन्‍द्र मोदी की रैली होने के एक सप्ताह पहले की उस स्थान पर डेरा डाल देते है जिससे वह छोटे कार्यकर्ताओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करते हुए रैली को किसी भी तरह सफल करा सके।

2014 लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में 11 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना था। सपा पार्टी सत्ता में थी और उससे जीतना एक बडी चुनौती थी। बीजेपी भले ही 11 सीट न जीत पाई हो लेकिन सहारनपुर सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजीव गुंबर को मिली अप्रत्याशित जीत से साबित हो गया है कि श्री स्वतन्त्र देव सिंह जी किसी भी सीट पर कमल खिला सकते हैं। दरअसल टिकट के चयन को लेकर नेताओं में आपसी फूट, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का सहारनपुर में विरोध व इस मामले का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दरबार में पहुंचने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा को सहारनपुर में नुकसान होगा। लेकिन पार्टी नेतृत्व की सांसे तब फूली जब राजीव गुंबर के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष का जमकर विरोध हुआ। बाद में अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने वहा डेरा डाल दिया। असर हुआ कि भाजपा नेता एकजुट नजर आने लगे और इस मुश्किल सीट पर विजय मिल गई। गौर करने की बात ये है कि इस सीट पर कुर्मी समाज नाम मात्र का भी नहीं था लेकिन संगठन क्षमता जाति की दीवारों से बहुत आगे की बात है।