प्रारंभिक जीवन: बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बचपन
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को कौशाम्बी जनपद के सिराथू गांव में हुआ। 1970 का दशक भारतीय राजनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें तीन बहुत बड़ी राजनीतिक घटनायें घटित हुई, जिसने भारतीय राजनीति की दशा एवं दिशा को बदल दिया- प्रथम: 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण; द्वितीय: प्रिवीपर्स को समाप्त करना; तृतीय: विश्व के मानचित्र में एक नये देश बांग्लादेश का उदय होना प्रमुख था।
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म इसी बदलते राजनीतिक दौर में हुआ. इनकी माता श्रीमती धनपती देवी व पिता श्री श्याम लाल मौर्य हैं ।
केशव प्रसाद मौर्य के माता-पिता
केशव प्रसाद मौर्य के पिता श्री श्याम लाल मौर्य जी पेशे से सामान्य किसान थे, और पहले जीविकोपार्जन के लिए सिराथू नगर में चाय की दुकान चलाते थे| इनकी माता धनपती देवी जी सामान्य गृहिणी हैं| 1976 में सिराथू गांव को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ। उससे पहले एवं 1980 के दशक तक सिराथू गांव की स्थिति अच्छी नहीं थी और जनसमुदाय बुनियादी सुविधाओं के अभाव में रहता था। इसी कारण केशव प्रसाद मौर्य के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी क्योंकि सिराथू गांव में कृषि के अतिरिक्त आय के अन्य साधन बहुत सीमित थे| सिराथू पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र है, क्यूंकि सिराथू से 9 किमी की दूरी पर स्थित कड़ा कौशाम्बी जिले का सबसे पुराना शहर है, जहाँ पर देश के कोने कोने से पर्यटक कड़ा के किले को देखने जाते हैं । कड़ा गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां तीर्थयात्री स्नान के लिए आते हैं। माता शीतला मंदिर कौशाम्बी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है ।
सिराथू नगर....
केशव प्रसाद मौर्य के दो भाई क्रमशः सुख लाल, राजेंद्र कुमार एवं तीन बहनें क्रमशः सुनीता देवी, आशा देवी एवं कमलेश कुमारी हैं । इनके बड़े भाई सुख लाल जी आज भी सिराथू में रहकर कृषि करते हैं ।
केशव प्रसाद मौर्य का संयुक्त परिवार
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा सिराथू नगर के प्राथमिक विद्यालय में हुई । वह स्वंय को केवल कक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहते थे बल्कि बचपन से इनके अन्दर जन सेवा का भाव निहित था । अत्यंत गरीब एवं पिछड़े परिवार से आने के बाद भी उनके विचार हमेशा समाज के बदलाव पर बल देते थे इसीलिए केशव की पारंपरिक जीवन-शैली इनके मित्रों से एकदम भिन्न थी जो केवल सिराथू गांव तक सीमित नहीं था । वह सदियों से चले आ रहे समाज के बीच ऊँच-नीच, जाति-पाति के भेदभाव को मिटाने का स्वप्न देखा करते थे ।
वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान, ईमानदार, सत्यनिष्ठ एवं कठोर परिश्रमी थे, इसीलिए सुबह प्राथमिक विद्यालय जाने से पूर्व एवं लौटने के पश्चात अपने पिता जी के साथ चाय की दुकान में बैठकर हाथ बटाया करते थे । इनके पिता श्री श्याम लाल जी सिराथू मंझनपुर रोड पर चाय की टपरी लगाया करते थे । उनका स्वभाव बचपन से ही परिश्रमी एवं दूसरों की मदद करने की थी । प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही वह अपने स्वभाव के अनुकूल जीविकोपार्जन के लिए अखबार बेचा करते थे जिससे वह अपने पिता की घर चलाने में सहायता कर सकें । वह हर सुबह सिराथू से 9 किमी साईकिल चला कर कड़ा पेपर बेचने जाते थे तत्पश्चात लौटकर अपने पिता जी के साथ चाय की दुकान में बैठकर सहायता करते थे ।
केशव प्रसाद मौर्य बचपन से ही बेहद शालीन एवं सहनशील
सिराथू नगर के जूनियर हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात केशव प्रसाद मौर्य ने माध्यमिक शिक्षा के लिए जनपद के ही ओसा के एक विद्यालय में प्रवेश किया । माध्यमिक शिक्षा के दौरान ही वह कॉलेज के लगभग सभी कार्यक्रमों में भाग लेते थे । इस दौरान भी उनके द्वारा माता-पिता के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन निरंतर रूप से करते रहे । इस बीच वह कभी-कभी सब्जी बेचने पिता के साथ बाजार भी जाते थे । अपने मिलनसार स्वभाव के कारण बाजार में केशव हमेशा लोगों से मिलते-जुलते रहते थे । सन 1985 में केशव का विवाह खुजा ग्राम मौजा अफजलपुरवारी सिराथू विकास खण्ड के ग़रीब किसान परिवार में हुआ था । इनकी पत्नी श्रीमती राजकुमारी देवी सामान्य गृहिणी हैं । केशव के दो पुत्र क्रमशः योगेश कुमार मौर्य एवं आशीष कुमार मौर्य हैं ।
समर्पण, सहयोग तथा नेतृत्व की अद्वितीय क्षमता : केशव प्रसाद मौर्य
1989 से भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हुई । ये दौर गठबंधन सरकारों का था। दूसरे शब्दों में 1990 के दशक में भारतीय राजनीति में दो बड़े परिवर्तन आये-प्रथम, केंद्र में गठबंधन सरकारों का गठन एवं द्वितीय, अयोध्या में राममंदिर निर्माण के मुद्दे को गति मिलना। इन दोनों मुददों ने भारतीय राजनीति की दशा एवं दिशा को परिवर्तित कर दिया जिसका प्रभाव केशव पर व्यापक रूप से पड़ा । इसी समय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों को आरक्षण पर बनी मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर दिया । इसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई । इससे कुछ वर्ष पूर्व फरवरी 1986 में फैजाबाद की जिला अदालत के आदेश के बाद बाबरी मस्जिद का दरवाजा खोल दिया गया। केशव प्रसाद मौर्य भी इसी बदलते राजनीतिक परिवेश में बड़े हो रहे थे और इन सभी राजनीतिक घटनाओं ने उनके अन्दर हिन्दू धर्म के प्रति सेवा भाव को जागृत किया। इसके पश्चात् उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस.) एवं विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के कार्यक्रमों में जाना शुरू किया। उस दौर में उनके परम मित्रों में से एक डॉ. बद्री विशाल त्रिपाठी जी के साथ उन्होंने संगठन के कार्यों एवं शाखाओं में प्रतिभाग लेना प्रारंभ किया। केशव के प्रत्येक दिन की शुरुआत विहिप के कार्यक्रमों से ही होती थी । 1 फरवरी 1986 में फैजाबाद की जिला अदालत के आदेश के विरुद्ध व्यापक आन्दोलन की शुरुआत हुई जिसमें केशव ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.
केशव प्रसाद मौर्य अशोक सिंघल जी के साथ
माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात ही केशव प्रसाद मौर्य की मुलाकात विहिप के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मा0 अशोक सिंघल जी से हुई। इसके पश्चात वर्ष 1989 से संघ व विहिप के अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनका अधिकांश समय साधु-संतों के बीच ही व्यतीत हुआ करता था । इस दौरान उन्होंने स्वयं को विहिप के संस्कारों से परिपूर्ण किया।
विहिप के सभी भजन-कीर्तन, सत्संग एवं सगोष्ठियों में केशव जी हमेशा बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। शुरुआती दिनों में उनका सबसे ज्यादा संपर्क विहिप के वरिष्ठ प्रचारक एवं विहिप के संगठन मंत्री माननीय श्री ठाकुर गुरजन सिंह जी से अधिक था, माननीय श्री ठाकुर गुरजन सिंह जी के मार्गदर्शन में केशव संगठन के कार्य किया करते थे। इस दौरान संगठन का एक गीत केशव जी हमेशा गुनगुनाया करते थे:
"संगठन तुम बढ़े चलो पंथ पर चले चलो
भला हो जिसमे देश का वह काम किए चलो"
संगठन के प्रति इनके कार्यों, ईमानदारी, निष्ठा एवं कठोर परिश्रम से प्रभावित होकर विहिप ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की विशेष जिम्मेदारी केशव को सौंपी गयी । श्री राम जन्म भूमि आंदोलन की विभिन्न यात्राओं जैसे श्रीराम ज्योति, शिला पूजन आदि के संचालन के लिए केशव प्रसाद मौर्य को नियुक्त किया । श्रीराम जन्मभूमि पर लगे ताले को खुलवाने के लिए उन्होंने भी जन-जागरण आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । इनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए संगठन ने उन्हें 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए कारसेवकों के जत्थे की अगुवाई के लिए चुना । जहाँ पर केशव ने अपने सुझबुझ, कार्य कुशलता एवं नेतृत्व से प्रशासन ने इनके सामने घुटने तक टेक दिए ।
श्री केशव जी का सक्रिय राजनीति में प्रवेश
माननीय अशोक सिंघल जी के आदेश पर केशव प्रसाद का सक्रिय राजनीति में प्रवेश
केशव जी का व्यक्तित्व हमेशा से कर्तव्यपूर्ण और संघर्षवान रहा | 2000 के दशक में केशव जी ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया । उनके गुरु माननीय अशोक सिंघल जी के आदेश पर ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में अपना कदम रखा । सन 2002 में जब माननीय श्री राजनाथ सिंह जी की सरकार उत्तर प्रदेश में आयी और वहीं केंद्र में अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार थी इस दौर में उन्होंने पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्त्ता के रूप में जी-जान लगा दी थी ।
धीरे धीरे समय बीतता गया और इनकी छवि हिन्दू नेता व ओजस्वी वक्ता के रूप में प्रचलित हो गयी और इनको सम्पूर्ण हिन्दू समाज प्रखर हिन्दू नेता के रूप में देखने लगा । उनके जुझारू व्यक्तित्व को देखते हुए और इनके प्रति कार्यकर्ताओं के विश्वास से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार वर्ष 2004 में इलाहाबाद शहर पश्चिमी से विधानसभा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा, यहीं से आपकी राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई । यह क्षेत्र पूर्ण रूप से गुंडों और माफियाओं के कब्जे में था जहां कोई जनसभा करना आसान नहीं था । परन्तु केशव ने अपने प्रभाव एवं कार्यदक्षता के बल पर इसी क्षेत्र में विराट हिन्दू सम्मेलन कराकर पार्टी के प्रति क्षेत्रीय लोगों में एकबार फिर से विश्वास जगाने का कार्य किया ।
विधायक से उपमुख्यमंत्री बनने तक का सफर
विधायक से उप-मुख्यमंत्री तक का सफ़र
वर्ष 2012 में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इनके संगठन के प्रति कार्यों एवं समर्पण को देखते हुए सिराथू विधान सभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया । सैनी में आपके नेतृत्व में पहली बार ऐसी सभा आयोजित हुई कि दुबारा इस मैदान में इतनी बड़ी कोई जनसभा नही हो सकी । विराट जन सैलाब ने सब को देखा बार-बार, केशव भईया अबकी बार का नारा बुलन्द किया । परिणमतः केशव प्रसाद मौर्य 6 मार्च 2012 को सिराथू विधानसभा से भारी मतों से विधायक निर्वाचित हुए।
पहली बार विधायक बनने के बाद
सोलहवीं लोकसभा 2014 के चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी सम्पूर्ण जनमानस में छा गई । इस दौरान भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व स्वच्छ छवि वाले जुझारू व व्यवहार कुशल युवा प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारना चाहता था । इसी निमित्त भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ पदधिकारियों की सहमति से 51, फूलपुर लोकसभा सीट से केशव प्रसाद मौर्य को प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतारा ।
भाजपा के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी श्री अमित शाह जी स्वयं फूलपुर की सीट की जीत के लिए चुनावी जनसभा में भाग लिया । भाजपा-केन्द्रीय नेतृत्व के अथक प्रयासों तथा फूलपुर संसदीय क्षेत्र के सभी समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों की दिन-रात मेहनत के परिणामस्वरूप एक अखबार और चाय बेचने वाले सामान्य से व्यक्ति केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर लोकसभा सीट की जनता-जनार्दन ने 3 लाख से अधिक मतों से विजयी बनाकर इतिहास रच दिया । केशव प्रसाद मौर्य जब फूलपुर से जीते थे, तो यह पार्टी के लिए भी अप्रत्याशित था क्योंकि इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार जीत का स्वाद चखा था । आज़ादी के बाद से ही ये संसदीय सीट न सिर्फ़ प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का संसदीय क्षेत्र रहा, बल्कि यहां से तमाम दिग्गजों ने चुनाव लड़ा है किन्तु केशव के अथक प्रयास से पहली बार फूलपुर कांग्रेस मुक्त बना ।
वर्ष 2014 से 2016 तक केशव एक सांसद के रूप में क्षेत्रीय जनता के सुख-दुख में शामिल होकर एक जनप्रतिनिधि की भूमिका को बखूबी निभाते रहे। केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री- गणों तथा सरकारी महकमा से तालमेल बिठाकर क्षेत्र के विकास हेतु निरन्तर प्रयास करके विकास के पथ पर एक नया इतिहास रचा।
इन की कार्यपद्धति और आम जनता के बीच सहभागिता से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने देश के सबसे बड़े राज्य और विश्व की सबसे बड़ी एवं सशक्त पार्टी का 16 अप्रैल 2016 को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा । केशव के अद्भुत नेतृत्व से प्रदेश के कार्यकर्ताओं के उत्साह में अभूतपूर्व बदलाव आया । भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद पर उस दौरान विराजमान हुए जब विगत 14 वर्ष से भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता प्रदेश में सत्ता का दंश झेल रहा था । सभी कार्यकर्ताओं के मन में एक विश्वास सा जगा और ग्राम स्तर से प्रदेश स्तर तक का कार्यकर्ता और पदाधिकारी तन मन और धन से समर्पित होकर पार्टी को सत्ता में लाने के लिये दिन रात कठोर परिश्रम करना प्रारम्भ कर दिया ।
केशव ने प्रदेश के कार्यकर्ताओं का उत्साह और अपने प्रति विश्वास को देखकर एक नई ऊर्जा के साथ उत्तर प्रदेश में नेतृत्व द्वारा दिए गए लक्ष्य 265+ के मिशन को अबकी बार तीन सौ पार के उद्देश्य के साथ तैयारी में लग गए । केशव ने महज तीन माह में ही उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों का दौरा करने में बहुत बड़ी सफलता हासिल कर अभियान को जारी रखा परिणाम स्वरूप 11 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश में 325 विधान सभाओं में भारतीय जनता पार्टी व अन्य सहयोगी दलों के प्रत्याशी विजयी होकर ऐतिहासिक और अभूतपूर्व पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के मिशन को पूर्ण किया ।
उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का भव्य स्वागत
तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने सरकार गठन में उप मुख्यमंत्री पद के दायित्व को सौंपा और पुनः केशव प्रदेश की जनता और दिन रात कठोर परिश्रम करने वाले कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बिठाकर सेवाकार्य में लग गए जिसमें वह पूरी तन्मयता और निष्ठा के साथ निरंतर कार्यरत हैं । सरकार गठन के पश्चात लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) मंत्रालय की जिम्मेदारी केशव को सौंपी गयी । उनका मानना है कि कृषि, व्यापार, उद्योग या सामाजिक विकास, सड़कें सभी के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करती हैं । इसी जरूरत पर जोर देते हुए उनके नेतृत्व में पीडब्लूडी अपने प्रथम दिन से ही प्रदेश की सडकों के निर्माण एवं चौड़ीकरण, नए फ्लाईओवर का निर्माण और नदियों-नालों पर पुलों का निर्माण, इन सभी मुददों को बहुत ही गंभीरता से लिया है । उत्तर प्रदेश का लोक निर्माण विभाग सभी जिलों को प्रदेश की राजधानी से सीधे जोड़ने के लिए सड़कों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में लगा हुआ है । विभाग केशव के नेतृत्व में सभी सड़कों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ।
उप मुख्यमंत्री पद की शपथ के पश्चात केशव प्रसाद मौर्य
उत्तर प्रदेश की सडकों को और भी बेहतर बनाने के लिए केशव ने दो नई पहल की है । जिसमें प्रथम पी.डब्लू.डी. की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ‘थर्ड पार्टी सुरक्षा ऑडिट’ की शुरुआत की । जिसमें लोक निर्माण विभाग 5 किमी और उससे अधिक लंबाई की सड़कों का निरीक्षण-कार्य प्रदेश में स्थित राजकीय तकनीक संस्थानों, एन.आई.टी. एवं आई.आई.टी. से कराएगी । इस पहल से नई सड़कों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और सड़क निर्माण कार्यों में पारदर्शिता भी आयी है । द्वितीय, माध्यमिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षाओं में प्रदेश में टॉप करने वाले मेधावी छात्रों के घरों को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना का विचार इनके ही द्वारा दिया गया । इस योजना से मेधावी छात्रों को भविष्य में और अधिक परिश्रम करने हेतु प्रोत्साहन मिल रहा है ।
इन सभी कार्यों के साथ केशव प्रसाद मौर्य आज भी सबसे ज्यादा जनता से मिलने वाले नेता हैं । लगभग हर दिन अपने आवास पर जनसुनवाई करके प्रदेशवासियों की समस्याओं का निवारण करते हैं जबकि प्रत्येक सोमवार एवं मंगलवार को अपने आवास पर जनसुनवाई में किसी खास समूह जैसे दिव्यांग, बुजुर्ग, महिलाओं एवं युवाओं की समस्याओं को खास वरीयता देते हैं । इनकी कार्य-प्रणाली और जन संवेदना इन्हें एक विशेष दर्जा प्रदान करती है और लोकप्रिय जननेता के रूप में प्रतिस्थापित करती है ।
श्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री 2.0: गावं के विकास से बदल रही है प्रदेश की तस्वीर!
महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत गांवों में बसता है। और उनका ग्राम स्वराज का सपना था, गांवों के विकास के बगैर देश का विकास सम्भव नहीं है, इसी के दृष्टिगत वर्तमान सरकार अपनी पिछले कार्य काल से ही गांवों के विकास पर पूरा जोर दे रही है, इसमें ग्राम्य विकास विभाग की विशेष व महत्वपूर्ण भूमिका है। यही कारण देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गांव के विकास के लिए मेरा गांव मेरी धरोहर की शुरुआत की। आज केंद्रीय प्रदेश सरकार गांव को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित कर स्मार्ट विलेज का निर्माण कर रहे हैं। गांव के विकास कार्य में क्रांति लाने का काम किया जा रहा है।
25 मार्च 2022 को उपमुख्यमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के बाद, केशव प्रसाद मौर्य ने सभी पहलुओं में गाँवों के विकास में गहरी रुचि दिखाई। इसलिए उन्होंने मिलकर “गाँव-गरीब” का कल्याण शब्द गढ़ा। इसीलिए केशव को प्रदेश सरकार ने ग्राम्य विकास विभाग का मंत्रालय आवंटित किया.
(केशव प्रसाद मौर्य: शपथ ग्रहण समारोह. 25 मार्च 2022)
केशव प्रसाद मौर्य का मानना है कि गांवों का विकास कर गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाना सरकार का मुख्य उद्देश्य है और गांव-गरीब की सेवा करने के लिए ही जनता ने हमारी पार्टी को दूसरी बार आशीर्वाद दिया है इसीलिए गरीब कल्याण एक महायज्ञ है जिसमें अपने विकास कार्यों तथा गरीब कल्याण योजनाओं की आहुति देनी है और ग्रामीण अंचलों का सर्वांगीण विकास करना है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केशव प्रसाद मौर्य ने 1 माह के भीतर विभागीय अधिकारियों के साथ विभागीय कार्यों की समीक्षा बैठक कर उल्लेखनीय निर्णय लिए जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में बारात घर राजधानी में राज्य मुख्यालय, खेल मैदान अंत्येष्टि स्थल इत्यादि के निर्माण की मंजूरी दी।
मनरेगा के तहत ₹17,456.70 करोड़ की लागत से प्रदेश के 58,189 ग्राम पंचायतों में बारात घर के निर्माण के निर्णय लिए गए हैं। ये बारात घर में समस्त सुविधाओं से युक्त होगें जिससे गांवों के मांगलिक एवं वैवाहिक कार्यक्रमों के आयोजन सुगमता से हो सकेंगे। उत्तर प्रदेश के कुल 58189 ग्राम पंचायतों में 14174.84 करोड़ रु0 की लागत से अंत्येष्टि स्थल के निर्माण के निर्णय लिए गए हैं। ग्राम वासियों को दुःखद घटनाओं की स्थिति में अंतिम संस्कार से जुड़े क्रियाकर्मो को करने में आसानी होंगी। इसके निर्माण से गांव के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने एवं पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। आजादी के 75 वर्ष बाद राजधानी लखनऊ में 145 करोड़ रुपये की लागत से ग्राम्य विकास विभाग का राज्य मुख्यालय के निर्माण के निर्णय लिया गया है। इस मुख्यालय में आयुक्त ग्राम्य विकास कार्यालय, मनरेगा, एनआरएलएम, पीएमजीएसवाई, सोशल ऑडिट आदि के कार्यालय एक स्थान पर स्थापित होंगे।
मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना को उत्तर प्रदेश में उड़ान मिली है। अमृत सरोवर के निर्माण में देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश की सभी 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में, प्रति ग्राम पंचायत कम से कम दो अमृत सरोवरों (लगभग 1.20 लाख ) के विकास का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
(अमृत सरोवर योजना)
अमृत सरोवर मिशन के तहत नए को खोदकर एवं पुराने सरोवरों को पुनर्जीवित कर बड़े तथा गहरे सरोवरों को बनाया गया है । इन सरोवरों में पानी इकट्ठा करने के लिए नाली बनाकर चलाया जाएगा, जिससे यह सरोवर वर्षा के पानी से लबालब भरे रहेंगे। अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है और इसके उपयोगिता को समझाया जा रहा है. तालाबों का सौंदर्यीकरण कर उनमें वैरिकेटिंग की गयी लाइट लगाकर उसमें रोशनी की समुचित व्यवस्था की गयी. कुसियों, बेंचों, व्यायाम व्यवस्था, दौड़ने के ट्रैक, आदि की व्यवस्था की गयी. घास काटकर उनके चारों तरफ छायादार वृक्ष लगाकर आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरोवर में नावका लगाकर बोटिंग की भी व्यवस्था हुई है।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी अपने प्रथम कार्यकाल से ही ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु अनेक योजनाएं चलाएं जिसने ग्रामीण अंचलों में महिलाओं को स्वरोजगार तथा आर्थिक स्वावलंबी बनाने में निर्णायक भूमिका अदा की इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार 2017 से ही उन सभी केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतार कर महिलाओं को रोजगार देकर उनको आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम किया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के निर्माण हेतु प्रेरित किया गया तथा उनकी ट्रेनिंग भी की गई आज उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में स्वयं सहायता समूह संचालित हो रहे हैं जिनके माध्यम से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं और अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। इसी स्वयं सहायता समूह से महिलाओं को बैंक कोरेस्पोंडेंट सखी, विद्युत सखी जल सखी व कृषि सखी इत्यादि चयनित हो रही है और मासिक मानदेय से उनके जीवन में खुशहाली आई है। यही नहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने घर में निर्मित उत्पादों को फ्लिपकार्ट तथा अमेजन के माध्यम से देश-विदेश में भी पहुंचाने का काम कर रही हैं। ग्राम पंचायतों में तैनात पंचायत सहायक के माध्यम से आयुष्मान कार्ड बनाए जाए जिससे भर्ती के समय अस्पताल में आयुष्मान कार्ड दिखाएं और नि:शुल्क उपचार का लाभ उठाएं।