श्री कल्‍याण सिंह

अध्‍यक्ष

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लगभग तीन दशक पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता श्री कल्याण सिंह जी एक प्रमुख हिंदू नेता के तौर पर उभरे थे। हालांकि, उस घटना के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

कल्‍याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। 

अलीगढ़ जिले के मढ़ौली ग्राम में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर पांच जनवरी 1932 को जन्मे कल्‍याण सिंह ने स्नातक तथा साहित्य रत्न (एलटी) की शिक्षा प्राप्त की और शुरुआती दौर में अपने गृह क्षेत्र में अध्यापक बने।

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़कर कल्‍याण सिंह ने समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा और इसके बाद जनसंघ की राजनीति में सक्रिय हो गये। वह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने।

इमरजेंसी में 20 महीने जेल में रहे...और फिर आया राम मंदिर आंदोलन
आपातकाल में 20 माह जेल में रहे कल्‍याण सिंह 1977 में मुख्यमंत्री राम नरेश यादव के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 1990 के दशक में वह राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उभरे और 1991 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया। पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन छह दिसंबर 1992 को अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।

सीएम रहते हुए अफसरो को दी सही काम करने की छूट
कल्‍याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने ''जो याद रहा'' शीर्षक से एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने कल्‍याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्‍याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी।