
लखनऊ 29 मई 2025। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन धर्म के लिए लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किए गए कार्य हम सबके लिए एक नई प्रेरणा है। यही प्रेरणा हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि सुशासन की आधारशिला विरासत बनेगी। साथ ही सुशासन की व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए निष्पक्ष न्याय की कसौटी पर खड़ा उतरते हुए सबको सुरक्षा प्रदान करने की वचनबद्धता को आगे बढ़ाना पड़ेगा। सबके मन में सुरक्षा का भाव ही विकास और विरासत के अभियान को आगे बढ़ाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गुरुवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में आयोजित 'पुण्यश्लोक' पूज्य देवी अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष स्मृति अभियान-2025 को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब हम भारत की बात करते हैं तो जैसे हमारे यहां पर्व और त्योहारों की लंबी श्रृंखला है, ऐसे ही महापुरुषों की भी लंबी श्रृंखला हमें देखने को मिलती है, जिनका प्रेरणादायी व्यक्तित्व एवं कृतित्व समाज को एक नई संजीवनी प्रदान करता है। सीएम योगी ने कहा कि गार्गी और मैत्री जैसी विदुषी नारियों का स्मरण हर भारतीय करता है। उसी श्रृंखला में आज से तीन सौ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में एक बालिका जन्म लेती है, जो मालवा के होल्कर साम्राज्य की साम्राज्ञी बनती है, लेकिन वह अपनी अखिल भारतीय दृष्टि से भारत के विरासत की ऐसी आधारशिला रख देती हैं, जो नए भारत के निर्माण में अपना योगदान कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरासत और विकास का अभियान वही अभियान है, जिसकी आधारशिला लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने रखी थी। उस समय के भारत की तुलना में उनका साम्राज्य काफी छोटा था। लेकिन साम्राज्य की सीमाओं के बाहर जाकर उन्होंने आक्रांताओं के द्वारा तोड़े गए मंदिरों की पुर्नस्थापना करके सनातन धर्म की नींव को मजबूती प्रदान करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि हमारा यह सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लोकमाता के त्रिशताब्दी जन्म महोत्सव से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। उनके द्वारा विरासत के साथ विकास एवं लोककल्याण के कार्यों को करीब जानने एवं समझने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में संचालित एक जिला एक उत्पाद योजना लोकमाता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि को व्यक्त करता है। क्योंकि इसके माध्यम से हमारी सरकार परम्परागत हस्तशिल्पियों एवं कारीगरों को नया जीवन प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने महारानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना उदा देवी, वीरांगना झलकारीबाई और वीरांगना अवंतीबाई के नाम पर पीएसी की नई बटालियन का गठन किया है। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस बल में यूपी की बालिकाओं के लिए 20 फीसदी अनिवार्य आरक्षण की व्यवस्था करना उसी अभियान का हिस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने आधी आबादी के लिए शुरू किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक हजार वर्ष पहले विदेशी आक्रांत सलार मसूद गाजी के हमलों को बेनकाब करने वाले महाराज सुहेलदेव को भारत के समाज ने एक प्रकार से विस्मृत कर दिया था। सलार मसूद मोहम्मद गजनवी का भांजा था, जिसने सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटा और तोड़ा था। श्रीराम जन्मभूमि पर पहला हमला सलार मसूद ने ही किया था। उन्होंने कहा कि 1033 ईस्वी में मंदिरों को तोड़ने के उद्देश्य एक बार फिर जब सलार मसूद भारत आया तो महाराज सुहेलदेव के नेतृत्व में उसकी ऐसी दुर्गति की गई कि अगले 150 वर्षों तक कोई विदेशी आक्रांता भारत आने की हिम्मत नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि विदेशी दासता के शिकार सत्ता लोलुप लोगों ने इतिहास पन्नों से महाराज सुहेलदेव के योगदान को गायब कर दिया था।पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बी एल संतोष ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर अजेय रहीं। वे कभी कोई युद्ध नहीं हारीं। धर्म-संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया। काशी में यदि मंदिर है तो उसका एकमात्र कारण अहिल्याबाई होल्कर हैं। यदि वे नहीं होतीं तो काशी में मंदिर का यह रूप नहीं देख सकते थे। हालांकि मोदी-योगी के कार्यकाल में अभी बहुत कुछ मिलने वाला है। मणिकर्णिका घाट के निर्माण में उनका बड़ा योगदान है। हरिद्वार, प्रयाग, अयोध्या में सरयू घाट का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने किया। सोमनाथ, कांची, रामेश्वरम, भीमाशंकर, श्रीशैलम में इन्होंने धर्मशालाओं का निर्माण, पीने के पानी, भंडारा की व्यवस्था की। पुजारियों के पूजा की जो व्यवस्था की, वह आज भी चालू है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने कहीं। उन्होंने अहिल्याबाई होल्कर के आदर्श को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की अपील की।
श्री बी एल संतोष ने रामायण की चर्चा से बात की शुरुआत की, फिर अहिल्याबाई होल्कर के ‘पुण्यश्लोक‘ उपाधि की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर का जीवन, साधना, कृतित्व, समाज, किसानों, महिलाओं, आर्थिक व्यवहार, पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर भी बहुत पुण्य का कार्य किया। अहिल्या बाई होल्कर के जीवन की हर पंक्ति पुण्यश्लोक जैसी है। उनकी कहानी सुनते-सुनते बड़े-बड़े इतिहासकारों ने अहिल्याबाई होल्कर को रानी, लोकमाता, लोकमंगल, प्रजावत्सला के बाद पुण्यश्लोक भी लिखा।
राष्ट्रीय महामंत्री संगठन ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि हमने स्कूल-कॉलेज में अहिल्याबाई के बारे में नहीं पढ़ा। शासन करने वाले लोगों ने लंबे समय तक शिवाजी, महाराणा प्रताप, अहिल्याबाई होल्कर के बारे में पाठ्यक्रम में आने नहीं दिया। देश में 300 साल पहले जब महिला सशक्तिकरण का नाम ही नहीं था, तब एक रानी ने इतना बड़ा काम किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर को आज मिजोरम, मेघालय से लेकर कर्नाटक, अंडमान निकोबार, केरल तक लोग याद कर रहे हैं। मुरादाबाद, उत्तराखंड, कर्नाटक में उनकी प्रतिमा स्थापित हुई। अहिल्याबाई होल्कर ने जीवन में दुख सहते हुए भी प्रजा की सेवा की।
उन्होंने कहा कि आठ वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। अल्पायु में ही पति, ससुर, बेटे, बेटी, दामाद को खोने के बाद उन्होंने खुद को संभाला। उन्होंने कहा कि यदि अच्छे ढंग से राज्य को नहीं संभाला तो प्रदेश अनाथ हो जाएगा। फिर अपने आप को संभालते हुए नर्मदा तट पर महेश्वर को राजधानी बनाई। उन्होंने राज्य नहीं चलाया, बल्कि प्रशासन चलाया।
श्री बी एल संतोष ने कहा कि होल्कर ने महिलाओं, किसानों, सिंचाई, व्यापार, आर्थिकी बढ़ाने और कारीगरों के लिए बहुत कार्य किया। हजारों कारीगरों को एकत्र कर माहेश्वरी ब्रांड क्रिएट किया और माहेश्वरी साड़ी को विश्व प्रसिद्ध किया। सिंचाई, सेना, पड़ोसी राज्यों के संबंध में उनके द्वारा किए गए कार्य अतुलनीय रहे। उन्होंने कहा कि जिनके पास जमीन नहीं थी, रानी अहिल्याबाई होल्कर उन्हें अपने राज्य की जमीन देती थीं। रानी का नियम था कि इस पर 12 पेड़ लगाना ही चाहिए। इसका परीक्षण भी किया जाता था। पांच-छह साल में उस पेड़ से कुछ मिलना शुरू होता था। वे कहती थीं कि सात पेड़ की उत्पत्ति उस घर की है, लेकिन पांच से होने वाली उत्पत्ति टैक्स के कारण राज्य को देनी चाहिए। उनकी प्रथा न्याय से परिपूर्ण थी। उन्होंने किसानों की सुरक्षा, समृद्धि के लिए बहुत कार्य किया। ब्रिटिश वायसराय ने उनकी प्रशंसा की। वे पड़ोसी राज्यों के साथ अच्छे संबंध रखती थीं। संवाद के जरिए महिला कल्याण, विधवाओं के लिए उन्होंने अनेक प्रशंसनीय कार्य किया। रानी अहिल्याबाई की साथी रेणुका देवी विधवा थी, लेकिन उन्होंने उनकी शादी कराई। विधवा महिला किसी को गोद ले सकतीं, संपत्ति को किसी को दे सकती हैं। उन्होंने टैक्स भी समान कर दिया।
श्री बी एल संतोष ने कहा कि सप्तपुरी, चार धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग यानी इन 23 स्थानों पर अहिल्याबाई होल्कर ने अनेक कार्य किया। उन्होंने समाज का सहयोग लेते हुए बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। मोदी-योगी भी उसी विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। महिला सशक्तिकरण, महिला भागीदारी के साथ ही महिला नेतृत्व का भी विकास हो रहा है। अहिल्याबाई होल्कर ने शासन के लिए उस समय सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की बात कही थी। महात्मा गांधी ने रामराज्य, आचार्य विनोवा भावे ने सर्वाेदय, पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ-सबका विकास की बात की।
उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर का त्रि-शताब्दी वर्ष पूरे देश में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा लोकमाता रानी आहिल्याबाई होल्कर ने किसानों, नौजवानों, हस्तिशिल्पयों और महिलाओं के सशक्तीरण के लिए उल्लेखनीय कार्य किये। देश की सनातन संस्कृति के गौरव को पुर्नस्थपित करने का काम रानी अहिल्याबाई होल्कर ने शुरू किया। उन्होंने कहा जिस समय पूरी दुनिया में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही थी, उस समय लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर पूरी कुशलता के साथ अपनी शासन व्यवस्था का संचालन कर रही थी। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी नारी वंदन अधिनियम और शासन की अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से नारी सशक्तीकरण को बढावा देने में लगे हुए है। लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर के शासन को याद करके हम सबको समझना चाहिए कि यदि एक महिला के हाथों में शासन की बागडोर आती है तो वह कैसा शासन चलाती है। उन्होंने कहा कि अपने शासनकाल में रानी अहिल्याबाई ने रामराज्य जैसा शासन देने का काम किया।
उन्होंने सभागार में उपस्थित महिलाओं का आवाह्न करते हुए कहा कि लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर जी के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेते हुए समाज के अन्य लोगों विशेषकर महिलाओं को यह बताना चाहिए कि लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर ने धर्म परायण के साथ-साथ अच्छी प्रशासक भी थी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर भारत की महान आदर्श शासिका थीं। उनका जन्म 31 मई 1725 को हुआ था। पति की मृत्यु के बाद 1767 में राज्य की बागडोर संभाली और 28 वर्ष तक राज्य का कुशल नेतृत्व किया। उनका दृष्टिकोण अखिल भारतीय था। उन्होंने राज्य, समाज, क्षेत्र के लिए बहुत कार्य किए। धार्मिक, प्रशासनिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विषयों पर उन्होंने वृहद सोच को प्रदर्शित कर अभियान को आगे बढ़ाया। होल्कर ने काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथपुरी आदि तीर्थ स्थानों का जीर्णाेद्धार और मंदिरों-धर्मशालाओं का भी निर्माण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने राज्य में प्रशासनिक सुधारों के साथ अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए व्यापक कदम उठाए। बिना कर बढ़ाए राज्य का राजस्व 75 लाख से बढ़ाकर सवा करोड़ तक पहुंचाया। युद्धकौशल के लिए अनेक कदम उठाए। विधवा महिलाओं को संपत्ति का अधिकार, गोद लेने की अनुमति दी गई, जिससे समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा मिला। सांस्कृतिक क्षेत्र में भी उनका बड़ा योगदान है। 25 अगस्त 1996 में उनकी याद में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत है।
कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह, महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्या, माध्यमिक शिक्षा मंत्री श्रीमती गुलाब देवी, होल्कर वंश के वंशज उदयराज होल्कर, प्रदेश महामंत्री श्री संजय राय,महापौर श्रीमती सुषमा खर्खवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ भाजपा नेता नीरज सिंह ने किया।
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